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almost gone

Friday, May 17, 2013

ek din

छोटी सी खुशियाँ
कई दिन मेरे दर पे खड़ी रहतीं हैं
कभी आवाज़ देकर मुझे बुलाना पड़ता है
तो कभी मैं उनकी राह तकते वहीँ सो जाती हूँ

कभी हिचकिचाते हुए मेरे पहलू में आकर बैठ जातीं हैं
कभी कूदकर मुझे गले लगा लेती हैं
लेकिन जभी भी हाथ थामने को आगे बढ़तीं हूँ
जाने क्यूँ मुझसे शर्मा जातीं हैं ...


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