छोटी सी खुशियाँ
कई दिन मेरे दर पे खड़ी रहतीं हैं
कभी आवाज़ देकर मुझे बुलाना पड़ता है
तो कभी मैं उनकी राह तकते वहीँ सो जाती हूँ
कभी हिचकिचाते हुए मेरे पहलू में आकर बैठ जातीं हैं
कभी कूदकर मुझे गले लगा लेती हैं
लेकिन जभी भी हाथ थामने को आगे बढ़तीं हूँ
जाने क्यूँ मुझसे शर्मा जातीं हैं ...
कई दिन मेरे दर पे खड़ी रहतीं हैं
कभी आवाज़ देकर मुझे बुलाना पड़ता है
तो कभी मैं उनकी राह तकते वहीँ सो जाती हूँ
कभी हिचकिचाते हुए मेरे पहलू में आकर बैठ जातीं हैं
कभी कूदकर मुझे गले लगा लेती हैं
लेकिन जभी भी हाथ थामने को आगे बढ़तीं हूँ
जाने क्यूँ मुझसे शर्मा जातीं हैं ...
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